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क्या-क्या ना सहे हमने स़ितम आप की खातिर।
निकलेगा किसी रोज़ ये दम़ आप की खातिर।
तड़पे है ये दिले ख़ाना सनम़ आप की खातिर।
ये जान भी जाएगी सनम़ आपकी खातिर।

श़ुक्रिया !

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श़ुक्रिया ! श़ुक्रिया!! श़ुक्रिया!!! Shyam Sundar Subramanian Sir Ji

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