दिल में जख्म़ों को बसा कर , तेरी याद में अश्क़ों को बहाकर , हम रस्मे उल्फ़त निभाते रहे। तुम मुझे भुलाकर , मेरी वफ़ाओं के एहद को निभा ना सके।
श़ुक्रिया !
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आभार आपका Shyam जी!
दिल में जख्म़ों को बसा कर , तेरी याद में अश्क़ों को बहाकर , हम रस्मे उल्फ़त निभाते रहे।
तुम मुझे भुलाकर , मेरी वफ़ाओं के एहद को निभा ना सके।
श़ुक्रिया !