Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings

रस्म़े उल्फ़त को हम निभाते रहे।
इश्क़ में चोट पाकर भी मुस्कुराते रहे।

श़ुक्रिया !

You must be logged in to post comments.

Login Create Account

आभार आपका Shyam Sundar Sir जी!

Loading...