अरमान अधूरे हैं, जज़्बात अधूरे हैंं। इज़हार अधूरे हैं , अल्फ़ाज़ अधूरे। अधूरी सी ज़िंदगी के फलसफ़े अधूरे हैं। क्या लिखूं मेरी श़ायरी के उनवान अधूरे हैंं।
श़ुक्रिया !
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धन्यवाद सर
अरमान अधूरे हैं, जज़्बात अधूरे हैंं।
इज़हार अधूरे हैं , अल्फ़ाज़ अधूरे।
अधूरी सी ज़िंदगी के फलसफ़े अधूरे हैं।
क्या लिखूं मेरी श़ायरी के उनवान अधूरे हैंं।
श़ुक्रिया !