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अरमान अधूरे हैं, जज़्बात अधूरे हैंं।
इज़हार अधूरे हैं , अल्फ़ाज़ अधूरे।
अधूरी सी ज़िंदगी के फलसफ़े अधूरे हैं।
क्या लिखूं मेरी श़ायरी के उनवान अधूरे हैंं।

श़ुक्रिया !

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16 Jul 2020 03:02 PM

धन्यवाद सर

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