अति प्रशंसनीय, मुझे तो लगा कि इस तरह सोचने वाले अब रहे ही नहीं,मुझे भी एतराज़ है सहूलियत के हिसाब से बनाए जाने वाले रिश्तों से, मैं आपकी इस प्रस्तुति से पूरी तरह सहमत हूं बहुत अच्छा लिखा है आपने।
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अति प्रशंसनीय, मुझे तो लगा कि इस तरह सोचने वाले अब रहे ही नहीं,मुझे भी एतराज़ है सहूलियत के हिसाब से बनाए जाने वाले रिश्तों से, मैं आपकी इस प्रस्तुति से पूरी तरह सहमत हूं बहुत अच्छा लिखा है आपने।