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आपकी बातें सर्वथा सत्य है । किंतु मैंने जो इस छोटे उम्र में जो धरातल पर जिया मेरे आस पास सारी विषमताओं का कारण अंग्रेजियत मानशिकता है।मैं अच्छा कक्षा 10 से स्वयं भुक्तभोगी हूं । मानता हूं मेरे पास अनुभव की कमी है पर मैं हिंदी का प्रचार प्रसार सिर्फ अपने काव्य तक सीमित नहीं किया है ।मैंने गांव-गांव जाकर हर कॉलेज महाविद्यालय के छात्रों से मिलकर हिंदी का प्रचार प्रसार किया है आपको बहुत जल्द राम मनोहर लोहिया जी के बाद हमारा आंदोलन का विकराल रूप देखने को मिलेगा । सर और हम कवि या महाकाव्य नहीं है हम एक साहित्य प्रेमी और मैंने जो आकलन किया है मेरे समाज में तमाम बुराइयां का कारण अंग्रेजी का प्रभाव है। हमारा हिंदी सर्वश्रेष्ठ है था और रहेगा। लेकिन बहुत सारी बातें जो धरातल पर लागू नहीं है । मैं वही करने कोशिश कर रहा हूं। मैं प्रगतिवाद के लेखकों का अनुयाई हूं ।इसलिए ना मैं झुक सकता हूं ना मैं रुक सकता हूं। हाल ही में मैंने युग प्रवर्तक नामक पत्रिका का विमोचन एवं संपादन किया और यह काम हमने लॉकडाउन में किया अपने छात्रों मित्रों एवं शिक्षकों की उपस्थिति में ।धन्यवाद आपने काफी सारी जानकारियां दी आगे ऐसे ही मुझे सही करते रहें।
।। बहुत-बहुत धन्यवाद।
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