कुछ तुम्हारी बंदिशें हैं कुछ हैं मेरे दायरे। जब मुक़द्दर ही बने दुश्मन तो कोई क्या करें।
श़ुक्रिया !
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कुछ तुम्हारी बंदिशें हैं कुछ हैं मेरे दायरे।
जब मुक़द्दर ही बने दुश्मन तो कोई क्या करें।
श़ुक्रिया !