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5 Jul 2020 05:04 PM

गुरु,प्रथमस्थान मां को,दूसरा स्थान, परिवार को,तीसरा स्थान निकटवर्ती समाज को, चौथा स्थान विद्यालय और व शिक्षक, को,और शेष के लिए यार-दोस्त, पत्नी और बच्चे, जीवन भर कुछ ना कुछ सीखने को मिलता ही है, इस लिए कहा गया है कि दत्तात्रेय जी ने चौबीस गुरु बनाए हैं,सच यही है, जिससे जो सिखने को मिला वह गुरु है, चाहे रिश्ता कुछ हो या ना हो। ््श््शै््श््श््श््शै््श््श

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आपका हृदय से आभार धन्यवाद आपका

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