Haneef Shikohabadi
Author
3 Jul 2020 07:36 PM
वाह?
वाह?
सुबह ना आई शाम ना आई।
जिस दिन तेरी याद ना आई याद ना आई।
कैसी लगन लगी है तुझसे कैसी लगन ये लगी है।
हंसी खो गई खुशी खो गई ।
आंसू तक सब रहन हो गए अर्थी तक नीलाम हो गई।
जैसे भी हो तुम आ जाओ तुम आ जाओ।
एक तार की दूरी है अब दामन और कफ़न में।
हुई मौत के संग सगाई।
सुबह ना आई शाम ना आई ।
जिस दिन तेरी याद ना आई याद ना आई।
श़ुक्रिया !