अंजनीत निज्जर
Author
2 Jul 2020 10:56 PM
Thanks ?
Thanks ?
अब तक जिंदगी गुज़ार रहे थे अपनों की खातिर।
अपनों की फ़िक्र छोड़ जीता हूं अब अपनी खातिर।
श़ुक्रिया !