kamni Gupta
Author
20 Jun 2020 03:57 PM
सुंदर पंक्तियां।
धन्यवाद जी
वक़्त के एक झोंके से श़िद्दत से खड़े किए गए महल भी ढहकर बिखर जाते हैं ।
इंसानी वुजूद भी खतरे में होता है जब कुफ़्र सर चढ़कर बोलता है।
श़ुक्रिया !