शशि शर्मा "मंजुलाहृदय"
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20 Jun 2020 08:24 PM
सही कहा आपने।
धन्यवाद!
कैद में जिंदगी की बसर मुझे ना भायी।
आज़ाद परिंदों सी परवाज़ लेती मौत भी मुझे रास आयी।
श़ुक्रिया !