इसमें आपने ईमान को बेच कर के स्थान पर ईमान को भी कुर्बान किया मोहब्बत की ख़ातिर पर उसका सिला नहीं मिला लिखना चाहिए था। क्योंकि मोहब्बत को खरीदने और बेचने का इज़हार सही नहीं लगता है। क्योंकि मोहब्बत ऐसी चीज़ नहीं है खरीदी और बेची जा सकती है।
इसमें आपने ईमान को बेच कर के स्थान पर ईमान को भी कुर्बान किया मोहब्बत की ख़ातिर पर उसका सिला नहीं मिला लिखना चाहिए था।
क्योंकि मोहब्बत को खरीदने और बेचने का इज़हार सही नहीं लगता है।
क्योंकि मोहब्बत ऐसी चीज़ नहीं है खरीदी और बेची जा सकती है।