अखिलेश 'अखिल'
Author
12 Jun 2020 01:00 PM
हिन्दी साहित्य का सूक्ष्म पर्यवेक्षण करिये।अगर ऐसा नहीं होता तो दलित साहित्य व स्त्री विमर्श के साथ पिछड़े वर्ग के साहित्य की जरूरत पर बात नहीं होती।कुछ तो बात होगी।
अखिलेश 'अखिल'
Author
12 Jun 2020 01:03 PM
बौद्धिक बईमानी से सबको बचना होगा।
कवि सबकी प्रेरणा होता है,वह कभी जाति धर्म में नहीं बंटता बंधु!वो तो सबको एकता के सूत्र में बाँधना चाहता है