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इसका प्रमुख कारण मानव की सोच में परिवर्तन है ।जो जीवन दर्शन से हटकर तर्क की कसौटी पर हर परिस्थिति का आकलन करना चाहता है।
मानव सोच में सकारात्मकता के स्थान पर नकारात्मकता की अधिकता ज्यादा है। किसी भी तथ्य की विवेचना का प्रारंभ यदि नकारात्मकता के बिंदुओं पर विचार करने से किया जाएगा तो उसमें सकारात्मक बिंदुओं पर समग्र आकलन करने का अभाव होगा। जिसमें सकारात्मक परिणाम प्राप्ति की संभावना कम हो जाएगी।

धन्यवाद !

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10 Mar 2021 11:18 AM

True sir.thank you.

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