साजिशें सर चढ़कर बोलतींं हैं। जब दोस्ती ही अपनों की कलई खोलती हैं।
श़ुक्रिया !
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आभार।
साजिशें सर चढ़कर बोलतींं हैं।
जब दोस्ती ही अपनों की कलई खोलती हैं।
श़ुक्रिया !