सराहनीय।सह अस्तित्व की भावना विशेष रूप से इस सृष्टि के दो बुद्धिमान एवम् समाजिक जीव ,नर और नारी के बीच अनादिकाल से रही है विशेषतः भारतवर्ष में अगर मध्य काल का समय छोड़ दिया जाये।कविता की पृष्ठभूमि समझने में अल्पज्ञ होने के कारण थोड़ी हेर फेर हुई, आशा है क्षमा करेंगे।
सादर अभिनन्दन
सराहनीय।सह अस्तित्व की भावना विशेष रूप से इस सृष्टि के दो बुद्धिमान एवम् समाजिक जीव ,नर और नारी के बीच अनादिकाल से रही है विशेषतः भारतवर्ष में अगर मध्य काल का समय छोड़ दिया जाये।कविता की पृष्ठभूमि समझने में अल्पज्ञ होने के कारण थोड़ी हेर फेर हुई, आशा है क्षमा करेंगे।
सादर अभिनन्दन