Seema katoch
Author
6 Jun 2020 02:11 PM
उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया जी
वृहद परिवार के अनेको सुरों की लय में जीवन के अनगिनत सुरीले गीत लिखे जाते हैं, किस्से ,कहानियाँ होते हैं जो जीवन के उत्तरार्द्ध तक गुनगुनाये जाते हैं और याद रहते हैं ।।हर्ष और उल्लास के साथ खट्टी मीठी नोकझोंक,अथाह प्यार की चाशनी में डांट डपट का तीखा तडका एक मोहक अनुभूति है।
यद्यपि भारत वर्ष तथा समस्त विश्व में जन सँख्या में त्वरित गति से वृद्धि हो रही है, परन्तु मध्यमवर्गीय बुद्धि जीवी परिवारों में एक ही बच्चे के चलन से न चाचा न बुआ न मौसी ।एकल परिवारों की नियति में खाली घोसले सा अवसाद ही रह जाता है जब एकमात्र सन्तान भी अध्ययन और उसके बाद आजीविका हेतु दूर चली जाती है और अकसर विदेश भी।
पर मित्रों का दायरा बढ़ा कर उस कमी को आज का समाज पूरा करने का प्रयास कर रहा, जिसमें सोशल मीडिया भी सहायक है
अत्यंत सामयिक सुन्दर व समीचीन भावनाओं से युक्त कविता हेतु साधुवाद ।