जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन तैसी इसी लिये कवि सम्मेलनों में साधारण श्रोताओं हेतु रचना से पहले कवि थोड़ी सी प्रस्तावना अवश्य देते है कवि की दृष्टि का भी आभास हो जाये तो रचना का आनंद कई गुना हो जायेगा आशा है अनुरोध स्वीकार होगा आदरणीया
जाकी रही भावना जैसी
प्रभु मूरत देखी तिन तैसी
इसी लिये कवि सम्मेलनों में साधारण श्रोताओं हेतु रचना से पहले कवि थोड़ी सी प्रस्तावना अवश्य देते है
कवि की दृष्टि का भी आभास हो जाये तो रचना का आनंद कई गुना हो जायेगा
आशा है अनुरोध स्वीकार होगा आदरणीया