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ऱूदादे दिल की दास्ताँँ हम सुनाते रहे उन्हें श़ामों स़हर।
अश्क़ उनके रोकने से भी न रुके बहते रहे इस कदर।

श़ुक्रिया !

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vasu Author
4 Jun 2020 05:51 PM

आपका शुक्रिया ?

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