वाह !! दोनों ही दोहे सुंदर हुए हैं.
हुई नहीं खुलकर कभी, उन दोनों में बात | करके सूरज को नमन, जाती है पर रात ||
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वाह !! दोनों ही दोहे सुंदर हुए हैं.
हुई नहीं खुलकर कभी, उन दोनों में बात |
करके सूरज को नमन, जाती है पर रात ||