Salil Shamshery
Jun 3, 2020 04:40 AM
अत्यंत सार्थक एवम सम्मोहक रचनाएँ हैं ।शब्दों में निहित भावनाओं के विभिन्न रंगो को समझने का प्रयास करता हूँ तो कुछ नवीन अर्थ भी द्रष्टि गोचर होने लगता है ।कई बार प्रतिक्रिया लिखकर हटा दी कि रचना के स्तर के अनुरूप नहीं है ।
आपकी रचनाओं की ह्रदय से प्रतीक्षा रहती है और प्रकाशित होते ही उत्सुकता से रसास्वादन कर आह्लादित व मानसिक ऊर्जा से ओत प्रोत हो जाता हूँ ।
फिर एक तुकबंदी करने की धृष्टता कर रहा हूँ, कृपया अन्यथा न ले।
ना जाने कैसे जमाने भर के दर्द की तर्जुमानी कर लेते है आप।
ये स्नेहिल ह्रदय, ये जज़्बाती लफ़्ज़ों का पिटारा कहाँ से लाते हैं आप ।।
वाग्देवी आप पर कृपा बनाये रक्खें तथा इसी तरह आप अभिधा, लक्षणा एवम् व्यंजना से शब्दों से मधुर संगीत रचते रहे।
रचनाओं के निरन्तर सृजन व सतत प्रवाह के अनुरोध को स्वीकार करने का व्यग्र पाठकों की तरफ से सादर आभार आदरणीया
Salil Shamshery
Jun 3, 2020 04:40 AM
अत्यंत सार्थक एवम सम्मोहक रचनाएँ हैं ।शब्दों में निहित भावनाओं के विभिन्न रंगो को समझने का प्रयास करता हूँ तो कुछ नवीन अर्थ भी द्रष्टि गोचर होने लगता है ।कई बार प्रतिक्रिया लिखकर हटा दी कि रचना के स्तर के अनुरूप नहीं है ।
आपकी रचनाओं की ह्रदय से प्रतीक्षा रहती है और प्रकाशित होते ही उत्सुकता से रसास्वादन कर आह्लादित व मानसिक ऊर्जा से ओत प्रोत हो जाता हूँ ।
फिर एक तुकबंदी करने की धृष्टता कर रहा हूँ, कृपया अन्यथा न ले।
ना जाने कैसे जमाने भर के दर्द की तर्जुमानी कर लेते है आप।
ये स्नेहिल ह्रदय, ये जज़्बाती लफ़्ज़ों का पिटारा कहाँ से लाते हैं आप ।।
वाग्देवी आप पर कृपा बनाये रक्खें तथा इसी तरह आप अभिधा, लक्षणा एवम् व्यंजना से शब्दों से मधुर संगीत रचते रहे।
रचनाओं के निरन्तर सृजन व सतत प्रवाह के अनुरोध को स्वीकार करने का व्यग्र पाठकों की तरफ से सादर आभार आदरणीया