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Comments on च़ंद इज़हार
In reply to
ज्योति
Shyam Sundar Subramanian
Author
28 May 2020 12:02 PM
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वक्त मुट्ठी में ली हुई रेत की तरह होता है।
एक बार फिसल जाए फिर कभी ना हाथ आता है।
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वक्त मुट्ठी में ली हुई रेत की तरह होता है।
एक बार फिसल जाए फिर कभी ना हाथ आता है।