जी, हमारे बच्चे इन रिश्तों को कहां समझ पाएंगे क्योंकि अधिकतर एक या दो बच्चे हैं सबके। वो इन रिश्तों की एहमियत ,इनके आने से को सकून हम लोगों ने महसूस किया था ,जो आनंद हम को आता था ,ये सब धीरे धीरे ख़तम हो रहा । वही कहने की कोशिश की है।
आपकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहता है sir,,,, शुक्रिया
जी, हमारे बच्चे इन रिश्तों को कहां समझ पाएंगे क्योंकि अधिकतर एक या दो बच्चे हैं सबके। वो इन रिश्तों की एहमियत ,इनके आने से को सकून हम लोगों ने महसूस किया था ,जो आनंद हम को आता था ,ये सब धीरे धीरे ख़तम हो रहा । वही कहने की कोशिश की है।
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