Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 May 2020 10:46 PM

मृत्यु हो गई इसका दुःख है, किन्तु इससे ज्यादा इस बात का दुःख है कि हम किस ओर जा रहे हैं, बच्चों के साथ रहना भी आज के दौर में सहज नहीं और एकांकी जीवन की परिणति तो यही है। गुमनामी में ही मृत्यु का वरण।यह दंपति तो भाग्यशाली थे जिन्हें एकसाथ मृत्यु ने अपने आगोश में ले लिया यदि एक भी जीवन रहता तो मृत्यु से बदतर जीवन जीने को अभिशप्त हो गया होता।प्रभु उनकी आत्मा को शान्ति प्रदान करें।

You must be logged in to post comments.

Login Create Account
Loading...