सोचोगे नहीं जब तक ऐसा बदलाव कहां से लाओगे, जब झकझोर देगी कलम तुम्हे तुम्हारी, तभी तो कर्मो का तूफ़ान पैदा कर पाओगे
सोचोगे नहीं जब तक ऐसा बदलाव कहां से लाओगे,
जब झकझोर देगी कलम तुम्हे तुम्हारी,
तभी तो कर्मो का तूफ़ान पैदा कर पाओगे