कभी-कभी अंतर्निहित भावनाएं हमारी प्रज्ञा शक्ति को प्रभावित करती हैं। और भावुक होकर हम अपने आप को असहाय निर्बल सा अनुभव करने लगते हैं। कभी-कभी अश्रु बहाना भी हृदय की पीड़ा को कम करने में सहायक होता है। हृदय की पीड़ा को को दबाकर रखने से अवसाद एवं कुंठा का निर्माण होता है। जिनके नकारात्मक प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ते हैं।
कभी-कभी अंतर्निहित भावनाएं हमारी प्रज्ञा शक्ति को प्रभावित करती हैं। और भावुक होकर हम अपने आप को असहाय निर्बल सा अनुभव करने लगते हैं। कभी-कभी अश्रु बहाना भी हृदय की पीड़ा को कम करने में सहायक होता है। हृदय की पीड़ा को को दबाकर रखने से अवसाद एवं कुंठा का निर्माण होता है। जिनके नकारात्मक प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ते हैं।