अंजनीत निज्जर
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22 May 2020 05:14 PM
धन्यवाद, बहुत बहुत आभार, आपका इतने गहरे विश्लेषण के लिए ????
आपके कथन से मैं सहमत हूं अंतर्मन की घुटन को बाहर निकालना आवश्यक है , नहीं तो यह घुटन अवसाद का रूप ले लेती है। जिससे निकलना अत्यंत कठिन होता है। किसी भी अत्याचार या अन्याय का विरोध मुखर करना आवश्यकता है। मूक रह कर अन्याय सहन करने से मानसिक तनाव घुटन का रूप ले लेता है। चीखने चिल्लाने एवं शोर मचा कर विरोध प्रकट करने से मानसिक तनाव कम होता है। मनोचिकित्सकों की भी यही सलाह है।
वर्तमान में समाज के इस गंभीर विषय पर आपके सार्थक विचारों का स्वागत है।
धन्यवाद !