आंचल फैलाये तेरे दरबार में रब करम कर जाने कितनी पहर गई।
वाह, आदरणीया वाह , क्या कहने । आपकी ओजपूर्ण लेखनी को नमन।
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आंचल फैलाये तेरे दरबार में रब
करम कर जाने कितनी पहर गई।
वाह, आदरणीया वाह , क्या कहने । आपकी ओजपूर्ण लेखनी को नमन।