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छोटे बच्चों में हिंदी विकास हेतु आपके प्रस्तुत आलेख का स्वागत है। परंतु मेरा कथन है कि पालक अपने बच्चों को अंग्रेजी सिखाना अधिक आवश्यक समझते हैं। बच्चों के प्ले स्कूल से लेकर किंडर गार्डन एवं प्राइमरी स्कूल शिक्षा में अंग्रेजी शिक्षण को ही अधिक महत्व दिया जाता है। दरअसल यह पालको सोच का नतीजा है कि बच्चों के भविष्य में अंग्रेजी की अहम भूमिका है । हमें इस सोच को बदलने का प्रयास करना होगा कि हिंदी भाषा का महत्व अंग्रेजी भाषा से कम नहीं है। यह एक अंतर्राष्ट्रीय भाषा का स्थान ले चुकी है। इसका महत्त्व एक संपर्क भाषा के रूप में बहुत अधिक है। देश में अन्य भाषायी राज्यों में भी यह बहुतायत से बोलीऔर समझी जाती है। जिन राज्यों में हिंदी विरोध अब तक होता आ रहा था। वहां की जनता भी अब समझने लगी है बिना हिंदी भाषा ज्ञान के उनका भविष्य उज्जवल नहीं है। उन राज्यों में भी अब हिंदी प्रचार एवं प्रसार के प्रयास जारी हैं।
हिंदी ज्ञान के अभाव में अपने ही राज्य में कूप मंडूक बन रहकर अन्य हिंदी भाषी राज्यों में व्यवसाय एवं नौकरी के अवसर लोग गंवाना नहीं चाहते हैं ।
अतः उनके लिए हिंदी सीखना एक अनिवार्य मजबूरी है। यह एक कटु सत्य है जिसे नकारा नहीं जा सकता।
वास्तविकता के धरातल पर व्यवहारिक सोच से ही हिंदी भाषा का विकास आने वाली पीढ़ी में किया जा सकता है।

धन्यवाद !

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19 May 2020 03:58 PM

सर्वप्रथम हिंदी भाषा के महत्व को समझाती हुई प्रतिक्रिया व्यक्त करने हेतु हृदयतल से आभार व्यक्त करती हूं । मैंने महोदय इसी उद्देश्य से यह लेख लिखने की कोशिश की है, जिसे वर्तमान पीढ़ी में जन-जागृति उत्पन्न हो और हिंदी भाषा को अब तो राष्ट्रीय सम्मान मिल सके । धन्यवाद आपका

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