घुमड़ रहा है आक्रोश मन में वह खुल कर रोया नहीं है रह रह कर निकलती है कराह आह नोट बंदी ,आह जी एस टी।
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घुमड़ रहा है आक्रोश मन में
वह खुल कर रोया नहीं है
रह रह कर निकलती है कराह
आह नोट बंदी ,आह जी एस टी।