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अश्रु की अपनी भाषा होती है।
कभी कष्ट के तो कभी प्रसन्नता के ,तो कभी पश्चाताप के , कभी मिलन के तो कभी वियोग के, तो कभी पाने के, कभी खोने के ,कभी आभार के तो कभी तिरस्कार के ,कभी सम्मान के तो कभी अपमान के , कभी कृतज्ञता के तो कभी विश्वासघात के, ये मूक संवेदना के स्वर हैं।
ये हार्दिक अनुभूति मुदित सारगर्भित प्रखर हैंं।

धन्यवाद !

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20 May 2020 11:37 AM

बिल्कुल सही , धन्यवाद

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