वह गीत याद आ गया, आदमी हूं, आदमी से प्यार करता हूं। लेकिन वह सब किससे बन कर रह गए हैं, मानवता को शायद हम त्याग चुके हैं। अन्यथा आज कल बेबस मजदूरों के साथ हो रहा है, उससे पसिजते तो सही,बस बयान देकर इतिश्री कर ली है। ईश्वर रक्षा करें सब की।
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हमारा भी यही उद्देश्य है । धन्यवाद!
वह गीत याद आ गया, आदमी हूं, आदमी से प्यार करता हूं। लेकिन वह सब किससे बन कर रह गए हैं, मानवता को शायद हम त्याग चुके हैं। अन्यथा आज कल बेबस मजदूरों के साथ हो रहा है, उससे पसिजते तो सही,बस बयान देकर इतिश्री कर ली है। ईश्वर रक्षा करें सब की।