एक समय ऐसा था, जब केवल दो पहर ही होते थे , दिन के बाद सीधे रात होती थीं , याद करते थे वो बचपन जब सुबह, दोपहर, शाम, रात हुवा करती थी। वही समय आज गुजर रहा है बगैर किसी यादो के साथ।
बचपन को याद करने पर सुकून तो बहुत मिलता है परन्तु कुछ ऐसी बातें भी अनचाहे आ जाती हैं जो कभी अपनों से हुआ करती थी और वो अपने हमें कब का छोड़कर चले गए सिर्फ कड़वी यादों के सहारे।
एक समय ऐसा था, जब केवल दो पहर ही होते थे , दिन के बाद सीधे रात होती थीं , याद करते थे वो बचपन जब सुबह, दोपहर, शाम, रात हुवा करती थी। वही समय आज गुजर रहा है बगैर किसी यादो के साथ।