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In reply to Shubham Yadav
6 May 2020 10:12 PM

वर्तमान मे पत्रकार,पत्रकार कम और किसी पार्टी विशेष के प्रवक्तता ज्यादा लगने लगे हैं..जो एकपक्षीय हो चुके हैं तथा चाटुकारिता को ही अपना धर्म समझने लगे हैं।
ज्यादातर पत्रकार अपने खुद के विचारों को सभी पर थोपने की कोशिस करते हैं…
सरकार की अच्छी नीतियों की सराहना के साथ साथ पत्रकारिता का मूल गुण सत्ता प्रतिष्ठान के प्रति आलोचनात्मक दृष्टि रखना है।सत्ता की चाटुकारिता करने को दूसरे आसान शब्दों में दलाली कहा गया है..।।
जब तक सत्ता पक्ष की कमियों पर बात नही करेंगे और विपक्ष के तर्कों को स्थान नही मिलेगा हमारा लोकतंत्र कभी परिपक्व नही हो सकता है।

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