विनय कुशवाहा 'विश्वासी'
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6 May 2020 07:11 PM
धन्यवाद आदरणीय??
मरीज़- ए- मोहब्ब़त उन्ही का फ़साना सुनाता रहा दम़ निकलते निकलते।
तभी ज़िक्रे शामे अल़म जब के आया च़रागे स़हर बुझ गया जलते जलते।
श़ुक्रिया !