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दिल दरिया होता है दिल समुंदर भी।
जिसमें प्यार उफान मारता है और होती हैं हमदर्दी की लहरें भी।
दिल की आग जब धधकती है तो बन जाती है दावानल भी।
खाक करके रख देती है बड़े-बड़े महलों को भी।
बर्बाद करके रख देती है कई हंसती खेलती जिंदगियों को भी।

धन्यवाद !

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सुन्दर रचना ?

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