विनय कुशवाहा 'विश्वासी'
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22 Apr 2020 07:49 PM
सादर नमन??
मजदूर के खून पसीने से निर्मित ये अट्टालिकाएँ।
कर रही इंगित उस गरीब की विवशताएँ।
जिसने खड़े किए ये महल अपने हाथों से।
आज मजबूर है ठिठुरने खुले मेंं सर्द रातों मेंं।
धन्यवाद !