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सोज़े आवाज़ का होते ही अस़र जलता है
इश्क़ की आग में आशिक़ का जिगर जलता है
महबूब के इंतज़ार में जलता है माश़ूका का जिगर यूँँ जैसे मोम के जिस्म़ में धागे का जिगर जलता है।

श़ुक्रिया !

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21 Apr 2020 09:26 PM

बहुत खूब…

शुक्रिया जनाब

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