युद्धिश्ठिर,जब ध्यूत क्रिडा को प्रस्तुत हुए थे,तो तब उन्होंने यह याद नहीं रखा था कि वह उनसे खेलने जा रहे हैं, जिनकी उनसे बैरपूर्ण व षड्यंत्र के शिकार पहले भी हो चुके हैं! शायद उन्हें अपने चक्रवर्ती सम्राट के अतिरिक्त कुछ भान नहीं रहा,उन्होंने अपनी सहायता के लिए ना तो अपने भाईयों को साथ लेने का प्रयास किया एवं ना ही अपने उस संकट मोचक को याद किया,जिसके सहारे द्रौपदी ने अपनी लाज बचाई !फिर भी वह धर्मराज हैं?
युद्धिश्ठिर,जब ध्यूत क्रिडा को प्रस्तुत हुए थे,तो तब उन्होंने यह याद नहीं रखा था कि वह उनसे खेलने जा रहे हैं, जिनकी उनसे बैरपूर्ण व षड्यंत्र के शिकार पहले भी हो चुके हैं! शायद उन्हें अपने चक्रवर्ती सम्राट के अतिरिक्त कुछ भान नहीं रहा,उन्होंने अपनी सहायता के लिए ना तो अपने भाईयों को साथ लेने का प्रयास किया एवं ना ही अपने उस संकट मोचक को याद किया,जिसके सहारे द्रौपदी ने अपनी लाज बचाई !फिर भी वह धर्मराज हैं?