मधुसूदन गौतम
Author
6 May 2020 11:19 PM
Thanks sir
Thanks sir
कुछ समझ ना पाऊं यह वक्त की मार है या कुदरत का कहर।
फिर भी यह सब कुछ सह कर कल के अच्छे दिनों के इंतजार में जिए जाते हैं।
श़ुक्रिया !