निश्चय ही,मै विपक्ष की पैरवी करने का प्रयास नहीं कर रहा हूँ, किन्तु वह भी इसी देश के प्रतिनिधि हैं भले ही वह संख्या बल मे कम ही सही,किन्तु उन्हें भी भारत के लगभग नौ-दस करोड़ लोगों के मत प्राप्त हए हैं,इतना बड़ा संकट आया,और विपक्ष के लोगों को चर्चा तक के योग्य नहीं समझा गया। विश्वास में लेना तो दूर की बात है ! ऐसे में ही विपक्ष अपनी भडाष निकालने के लिए,असंभव से लगने वाले लक्ष्य सामने रखता है,और भोले-भाले वह लोग जो यह फर्क नहीं कर पाते कि यह जो सुझाव दिए गए हैं सरोकार उसका पालन क्यों नहीं करती। इसलिए सर्वोच्च को विपक्ष के हर प्रतिष्ठित व्यक्ति को जो,राय सरकार को देने का इरादा रखता है, उसके लिए अवसर प्रदान करने के लिए आमंत्रित करना था,अब भी समाज सेवा में जुटे लोगों के सुझाव लेकर आगे बढ़ने की आवश्यकता है। प्रशासन के अधिकारी के पास जनता की पहुँच कम होती है, और अहम ज्यादा इसलिए जनता के वह लोग जो बिना पदों पर बैठे भी सेवा में लगे हैं,उनके सुझाव लेकर जो किया जा सकता है करना चाहिए,वह भी उन्हीं के साथ मिलकर!इसमें पार्टी के कार्यकर्ता को तभी शामिल किया जाना चाहिए,जब तक वह दलीय आधार पर कार्य करने की कुचेष्ठा से प्रेरित न हो,नहीं तो वह सरकारी धन का दुरुपयोग अपने दलीय हितों के लिए करने लगते हैं,यह हमने भूकंप,बाढ,वअन्य आपदाओं मे देखा है। खैर यह मेरे विचार हैं,करना तो सरकार को ही है, और वह करेगी भी अपने अनुसार,अपने हिसाब से।
निश्चय ही,मै विपक्ष की पैरवी करने का प्रयास नहीं कर रहा हूँ, किन्तु वह भी इसी देश के प्रतिनिधि हैं भले ही वह संख्या बल मे कम ही सही,किन्तु उन्हें भी भारत के लगभग नौ-दस करोड़ लोगों के मत प्राप्त हए हैं,इतना बड़ा संकट आया,और विपक्ष के लोगों को चर्चा तक के योग्य नहीं समझा गया। विश्वास में लेना तो दूर की बात है ! ऐसे में ही विपक्ष अपनी भडाष निकालने के लिए,असंभव से लगने वाले लक्ष्य सामने रखता है,और भोले-भाले वह लोग जो यह फर्क नहीं कर पाते कि यह जो सुझाव दिए गए हैं सरोकार उसका पालन क्यों नहीं करती। इसलिए सर्वोच्च को विपक्ष के हर प्रतिष्ठित व्यक्ति को जो,राय सरकार को देने का इरादा रखता है, उसके लिए अवसर प्रदान करने के लिए आमंत्रित करना था,अब भी समाज सेवा में जुटे लोगों के सुझाव लेकर आगे बढ़ने की आवश्यकता है। प्रशासन के अधिकारी के पास जनता की पहुँच कम होती है, और अहम ज्यादा इसलिए जनता के वह लोग जो बिना पदों पर बैठे भी सेवा में लगे हैं,उनके सुझाव लेकर जो किया जा सकता है करना चाहिए,वह भी उन्हीं के साथ मिलकर!इसमें पार्टी के कार्यकर्ता को तभी शामिल किया जाना चाहिए,जब तक वह दलीय आधार पर कार्य करने की कुचेष्ठा से प्रेरित न हो,नहीं तो वह सरकारी धन का दुरुपयोग अपने दलीय हितों के लिए करने लगते हैं,यह हमने भूकंप,बाढ,वअन्य आपदाओं मे देखा है। खैर यह मेरे विचार हैं,करना तो सरकार को ही है, और वह करेगी भी अपने अनुसार,अपने हिसाब से।