आपके कथन से मैं सहमत हूं। भूखे पेट के लिए रोजी रोटी जुटाना ही प्राथमिकता है। शासन की विफलता का का कारण योजनाबद्ध तरीके से समस्याओं का निराकरण न करना है। विपक्ष की भूमिका भी इस विषय सोचनीय है। हमेशा सरकार के विरुद्ध लोगों को उकसा कर अपना राजनीतिक उद्देश्य सिद्ध करना उसकी नीति रही है। सरकार द्वारा जनहित मे किये गये कार्यों मे सहयोग के स्थान पर खोट निकालना विपक्ष ने अपना परम कर्तव्य मान लिया है। राष्ट्रहित के मुद्दों पर भी एकजुट होकर सरकार का साथ नहीं दिया है। जिसके फलस्वरूप उसने जनता में एक ऐसे वर्ग का निर्माण किया है जो हमेशा सरकारी आदेशों की अवहेलना करता आया है । जिसको प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में उसका समर्थन हासिल है। जब तक विपक्ष अपनी मनोवृति में परिवर्तन नहीं लाता तब तक इस प्रकार की विसंगतियां होती रहेगी। सरकार को भी नीतिगत निर्णय लेने मे विपक्ष का सुझाव भी आमंत्रित कर उस पर विचार करना चाहिए। जिससे क्रियान्वयन मे विपक्ष रोड़े ना अटकाए अपितु एक सार्थक भूमिका निभाए। विपक्ष को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर राष्ट्रीय भावना से कार्य करना चाहिए तभी देश का समग्र उद्धार संभव है।
आपके कथन से मैं सहमत हूं। भूखे पेट के लिए रोजी रोटी जुटाना ही प्राथमिकता है। शासन की विफलता का का कारण योजनाबद्ध तरीके से समस्याओं का निराकरण न करना है। विपक्ष की भूमिका भी इस विषय सोचनीय है। हमेशा सरकार के विरुद्ध लोगों को उकसा कर अपना राजनीतिक उद्देश्य सिद्ध करना उसकी नीति रही है। सरकार द्वारा जनहित मे किये गये कार्यों मे सहयोग के स्थान पर खोट निकालना विपक्ष ने अपना परम कर्तव्य मान लिया है। राष्ट्रहित के मुद्दों पर भी एकजुट होकर सरकार का साथ नहीं दिया है। जिसके फलस्वरूप उसने जनता में एक ऐसे वर्ग का निर्माण किया है जो हमेशा सरकारी आदेशों की अवहेलना करता आया है । जिसको प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में उसका समर्थन हासिल है। जब तक विपक्ष अपनी मनोवृति में परिवर्तन नहीं लाता तब तक इस प्रकार की विसंगतियां होती रहेगी। सरकार को भी नीतिगत निर्णय लेने मे विपक्ष का सुझाव भी आमंत्रित कर उस पर विचार करना चाहिए। जिससे क्रियान्वयन मे विपक्ष रोड़े ना अटकाए अपितु एक सार्थक भूमिका निभाए। विपक्ष को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर राष्ट्रीय भावना से कार्य करना चाहिए तभी देश का समग्र उद्धार संभव है।