जयंती प्रसाद जी, आपकी रचनाओं को पढ़ने का अवसर प्राप्त हुआ है,कोरोना से लेकर माँ तक हर रचना में,निश्छलता का पुट है!कविताएँ अपने मन के उदगार प्रकट करने का एक माध्यम है!वह किसी की प्रशंसा के लिए तो नही जाती किन्तु यदि वह लोगों को भा जाए तो उसे स्वीकार किया ही जाता है,लेकिन यदि वह किसी को किसी प्रकार से आहत करती है, तो आहत हुए व्यक्ति उसका उपहास भी करने लगते हैं,रचना कार को इन सब से मुक्त हो कर अपना.रचना धर्म का निर्वाह करते रहना चाहिए। आपको तो सभी की ओर से प्रशंसा ही प्राप्त हुई है, आपको बधाई!
जयंती प्रसाद जी, आपकी रचनाओं को पढ़ने का अवसर प्राप्त हुआ है,कोरोना से लेकर माँ तक हर रचना में,निश्छलता का पुट है!कविताएँ अपने मन के उदगार प्रकट करने का एक माध्यम है!वह किसी की प्रशंसा के लिए तो नही जाती किन्तु यदि वह लोगों को भा जाए तो उसे स्वीकार किया ही जाता है,लेकिन यदि वह किसी को किसी प्रकार से आहत करती है, तो आहत हुए व्यक्ति उसका उपहास भी करने लगते हैं,रचना कार को इन सब से मुक्त हो कर अपना.रचना धर्म का निर्वाह करते रहना चाहिए। आपको तो सभी की ओर से प्रशंसा ही प्राप्त हुई है, आपको बधाई!