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Comments on च़ंद अल्फ़ाज़
In reply to
ज्योति
Shyam Sundar Subramanian
Author
15 Apr 2020 11:30 AM
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आजकल सच्ची इंसानियत ढूंढने से नहीं मिलती। इंसानियत का मुखौटा पहने हुए खुदगर्जी मिलते हैं।
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आजकल सच्ची इंसानियत ढूंढने से नहीं मिलती। इंसानियत का मुखौटा पहने हुए खुदगर्जी मिलते हैं।