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15 Apr 2020 08:51 AM

सही कहा आपने सर

इंसानियत तब भी थी ,
इंसानियत आज भी है ।

पहले ज्यादा होती थी ,
आज थोड़ा कम है ।

ज़्यादा कुछ नहीं ,
बस जज्बातों का फर्क है ।

पहले इंसानियत के किरदार थे ,
आज किराए की इंसानियत है ।

धन्यवाद ?

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15 Apr 2020 11:30 AM

आजकल सच्ची इंसानियत ढूंढने से नहीं मिलती। इंसानियत का मुखौटा पहने हुए खुदगर्जी मिलते हैं।

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