जय हनुमान।
मैं आपके कथन से सहमत हूं कि भगवान राम ने मानव रूप में अवतार लिया था। अतः मानव आदर्श रूप की समस्त मर्यादाओं का पालन उनका धर्म था। जहां तक हनुमान जी के बूटी ढूंढने का प्रश्न है अपना समय बूटी ढूंढने में नष्ट नहीं करना चाहते थे अतः उन्होंने पर्वत को उठा कर ले लाना ही श्रेयस्कर समझा।
जय हनुमान।
मैं आपके कथन से सहमत हूं कि भगवान राम ने मानव रूप में अवतार लिया था। अतः मानव आदर्श रूप की समस्त मर्यादाओं का पालन उनका धर्म था। जहां तक हनुमान जी के बूटी ढूंढने का प्रश्न है अपना समय बूटी ढूंढने में नष्ट नहीं करना चाहते थे अतः उन्होंने पर्वत को उठा कर ले लाना ही श्रेयस्कर समझा।
धन्यवाद !