Satendra Gupta
Author
7 Apr 2020 08:27 PM
आभार आदरणीय
आभार आदरणीय
तेरी आँँखों के सिवा दुनिया में रक्खा क्या है।
ये उठेंं सुबह चले ये झुकें शाम ढले।
मेरा जीना मेरा मरना इन्हीं पलकों के तले।
श़ुक्रिया !