Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Apr 2020 01:37 PM

महेंद्र जी,बहुत ही प्रेरक प्रसंग को जन सामान्य के समक्ष प्रस्तुत किया है! आखिर यह है भी तो उसी के लिए,उसके द्वारा स्वयं के लिए परोशा हुआ

You must be logged in to post comments.

Login Create Account
5 Apr 2020 02:22 PM

जी बिलकुल
खुद के चक्रव्यूह में फँसने से पहले,
एक तरफा द्वार वाली गुफा में कैसे धकेला गया,
जान जाये तो,
चक्रव्यूह खुद टूट जाता है ?
सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिये तहेदिल आभार ?

Loading...