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Comments on गज़ल
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Shyam Sundar Subramanian
Gautam Jain
Author
31 Mar 2020 08:06 PM
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कैसा छलावा सा था इश्क उनका
सब कुछ लुटा कर भी मुस्कुरा बैठे
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कैसा छलावा सा था इश्क उनका
सब कुछ लुटा कर भी मुस्कुरा बैठे